नियम-1 निर्णय कब सुनाया जायेगा
(1)- न्यायालय , किसी मामले की सुनवाई कर लेने के पश्चात निर्णय खुले न्यायालय में या तो तुरंत या इसके तत्पश्चात यथा साध्य शीघ्र सुनाएगा और जब निर्णय किसी भविष्यकर्ता दिन को सुनाया जाना है तब न्यायालय उस प्रयोजन के लिए कोई दिन नियत करेगा जिसको सम्यक सूचना पक्षकारों या उसके प्लीडरों को दी जाएगी;
परंतु जहाँ निर्णय तुरंत नहीं सुनाया जाता वहाँ न्यायालय, निर्णय, उस तारीख से, जिसको मामले की सुनवाई समाप्त हुई थी, तीस दिन के भीतर सुनाने का पूरा प्रसास करेगा , किंतु जहाँ मामले की आपवादिक और साधारण परिस्थितियों के आधार पर ऐसा करना साध्य नहीं है वहाँ न्यायालय निर्णय सुनाने के लिए कोई भविष्यवर्ती दिन नियत करेगा और ऐसा दिन साधारणतः उस तारीख से, जिसको मामले की सुनवाई समाप्त हुई थी, साठ दिन के बाद का नहीं होगा और इस प्रकार नियत किए गए दिन की सम्यक सूचना पक्षकारों या उनके प्लीडरों को दी जाएगी।
(2)- जहाँ लिखित निर्णय सुनाया जाना है वहाँ यदि प्रत्येक विवाद्यक पर न्यायालय के निष्कर्षों को और मामले में पारित अंतिम आदेश को पढ़ लिया जाता है तो वह पर्याप्त होगा और न्यायालय के लिए यह आवश्यक नहीं होगा कि वह सम्पूर्ण निर्णय को पढ़कर सुनाए
(3) निर्णय खुले न्यायालय में आशुलिपिक को बोलकर लिखाते हुए केवल तभी सुनाया जा सकेगा जब न्यायाधीश उच्च न्यायालय द्वारा उस निमित विशेष रूप से सशक्त किया गया है:
परंतु जहाँ निर्णय खुले न्यायालय में बोलकर लिखाते हुए सुनाया जाता है वहाँ इस प्रकार सुनाए गए निर्णय की अनुलिपि उसमें ऐसी शुद्धियां करने के पश्चात जो आवश्यक हो, न्यायालय द्वारा हस्ताक्षरित की जाएगी उस पर वह तारीख लिखी जाएगी जिसको निर्णय सुनाया गया था और वह अभिलेख का भाग होगी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें