नमस्कार दोस्तों आज जो पोस्ट लेकर आया वह बहुत ही अच्छी है , क्यूंकि इस पोस्ट में एक बेटी ने जो बाते अपने पिता से कही है उसने मेरे दिल को छुआ है , इस पोस्ट में सामाज में हो रहे बेटियों के प्रति अत्याचार के बारे में बहुत मार्मिकता से चित्रण किया है दोस्तों इस पोस्ट को जिस किसी लेखक ने लिखा है मैं उनका यहाँ नाम तो नहीं बता सकता लेकिन इस पोस्ट ने मेरे दिल की गहराईयों में जगह बनायीं है , इस पोस्ट में बेटी ने अपनी ख्वाईशो का बहुत ही मार्मिक और गंभीर चित्रण किया है एवं समाज को बदलने की गुजारिश की है यदि आपको यह छोटी सी कविता अच्छी लगे तो जरूर सबके साथ आगे शेयर करियेगा धन्यवाद🙏 श्याम हो गयी है अभी तो , घूमने चलों न पापा? चलते चलते थक गयी हूँ , कंधे पर बैठा लो न पापा? अँधेरे से डर लगता है, सीने से लगा लो न पापा? मां तो सो गयी है , आप ही थपकी देकर सुला दो न पापा? स्कूल तो पूरी हो गयी , अब कॉलेज जाने दो न पापा? पाल पौस कर बड़ा किया , अब...