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विशेष विवाह अधिनियम 1954 , एक सामान्य परिचय. The Special Marriage Act-1954

जैसा की हम जानते है कि  विवाह पारिवारिक जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। विवाह के सम्बन्ध में विधिक प्रावधान प्रयोज्य होते हैं और विवाह के पक्षकारों को सुरक्षा प्रदान करते हैं। सामान्यतः विवाह के पक्षकारों को विवाह उसी अनुसार करना चाहिए , जिस धर्म के विवाह प्रावधान विवाह के पक्षकारों पर प्रयोज्य होते हो। विशेष विवाह अधिनियम, 1872 भारत में सिविल विवाहों से सम्बन्धित प्रथम विधि विशेष विवाह अधिनियम, 1872 थी, जिसे ब्रिटिश शासन के दौरान स्वतंत्रतापूर्व युग के प्रथम विधि आयोग की अनुशंसा पर अधिनियमित किया गया था। प्रारंभ में इसे एक वैकल्पिक विधि के रूप में रखा गया था, जिसे केवल उन व्यक्तियों को उपलब्ध कराया गया था जो भारत की विभिन्न धार्मिक परम्पराओं में से किसी को नहीं मानते थे। हिन्दू, मुसलमान, क्रिशियन, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी सभी इसके क्षेत्र से बाहर थे। अतः वे व्यक्ति जो इन समुदायों में से किसी से सम्बन्धित थे और इस अधिनियम के अधीन विवाह करना चाहते थे, उन्हें उस धर्म का, जो भी हो जिसे वे अपना रहे थे, त्याग करना पड़ता था। इस अधिनियम का मुख्य प्रयोजन अन्तरधार्मिक विवाहों को सुकर बनाना था। इस

जानिए- (IPC)भारतीय दंण्ड संहिता की मुख्य धाराएं क्या है? सजा का क्या प्रावधान है?

 धारा 302 हत्या करना  भारतीय दंण्ड संहिता की धारा कई मायनों  बहुत महत्वपूर्ण है अगर किसी पर हत्या का दोष साबित हो जाता हो जाता है तो उसे फासी की सजा या उम्रकैद और जुर्माना हो सकता है हत्या के मामलों मे खासतौर पर हत्या के इरादे और उसके मकसद पर ध्यान दिया जाता है इस तरह के मामलों में पुलिस को सबूतों के साथ यह साबित करना होता है कि हत्या आरोपी ने किया है आरोपी के पास हत्या का मकसद भी था और वह हत्या करने का इरादा भी रखता था।  धारा 395 डकैती डालना भारतीय दंण्ड संहिता की धारा 395 के अनुसार जो कोई व्यक्ति डकैती करेगा तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधी के लिए कठिन कारावास जिसे 10 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है एवं दडित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। धारा 376 बलात्कार करना भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 के अनुसार किसी भी महिला के साथ बलात्कार करने के आरोपी पर धारा 376 के तहत मुकदमा चलाया जाता है जिसमें अपराध सिद्ध होने की दशा में दोषी को कम से कम 5 साल व अधिकतम 10 साल तक की कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान है। धारा 377 अप्राकृतिक कृत्य करना भारतीय दंण्ड संहित