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जुलाई 4, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

⚖️अति आवश्यक सूचना⚖️

  ⚖️अति आवश्यक सूचना⚖️ वर्तमान में पूरे भारत मे आईपीसी - सीआरपीसी व एविडेन्स एक्ट के नाम ,धाराओं सहित अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए है अब नई संहिता में तीनों कानूनों को BNS - BNSS - BSA के नाम से संबोधित किया जाएगा  ।।      वर्तमान में अधिवक्तों को तीनों कानूनों को समझने के लिए जिसमे कौन कौन अपराध ज़मानती या अजमानतीय हुए है किस अपराध में कितनी सजा कम हुई या बड़ी है -किन आपराधिक धाराओं को कम किया गया  या बढ़ाया गया है - किन किन अपराधों को सत्र न्यायधीश या न्यायिक मजिस्ट्रेट को सुनवाई के लिए अधिकार प्रदान किये गए -   तुलात्मक चार्ट ( IPC- BNS, CRPC -BNSS , एविडेन्स एक्ट - BSA ) इत्यादि को समझने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ।       जिसका सबसे आसान तरीका प्ले स्टोर से केवल एक ऐप *NCRB* डाउनलोड कर आसानी आप तीनो आपराधिक कानूनों के बारे में संपूर्ण जानकरी धाराओं अनुसार सर्च कर एक क्लिक पर जान सकते है ।।       

भारतीय न्याय संहिता, 2023मे महत्वपूर्ण नये प्रावधान

भारतीय न्याय संहिता, 2023 यानी  BNS मे महत्वपूर्ण नये प्रावधान रेप और पॉक्सो - बीएनएस 65 और 4 पॉक्सो (कम से 20 वर्ष की सजा या आजीवन कारावास, जुर्माना) हत्या- बीएनएस 103 (1)- मृत्युदंड या आजीवन कारावास।  मॉब लिंचिंग-  बीएनएस 103 (2)- पांच से अधिक लोगों का ग्रुप मिलकर जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा को लेकर हत्याएं करता है, ऐसे ग्रुप के हर एक सदस्य को दोष साबित होने पर मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा। किडनैपिंग -  बीएनएस 137- कम से कम सात साल और इससे अधिक की सजा, जुर्माना भी फिरौती के लिए किडनैपिंग- बीएनएस 140 (2) मृत्युदंड और आजीवन कारावास की सजा।  स्नैचिंग-   बीएनएस 304 – कम से कम तीन साल की सजा और जुर्माना।  दंगा -  बीएनएस की धारा 189/190/191/192/324/117/57/61/3(5)- कम से कम 7 साल की सजा।  दहेज के लिए हत्या-   बीएनएस 80 (2) – कम से कम सात साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा।  हत्या की कोशिश -  बीएनएस 109- मृत्युदंड या आजीवन कारावास।  पहले की FIR: FIRST INFORMATION REPORT (धारा 154 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत) FIR: FIRST INFOR...

भारतीय न्याय संहिता, 2023 का उद्देश्य क्या है , इसकी क्या आवश्यकता थी.

भारतीय न्याय संहिता, 2023, जिसने भारतीय दंड संहिता का स्थान लिया है, इस लेख का उद्देश्य इस नए कानूनी ढांचे के अंतर्गत दंड से संबंधित प्रावधानों की विस्तृत व्याख्या प्रदान करना है। भारतीय न्याय संहिता, 2023, कठोर और सरल कारावास, जुर्माना और सामुदायिक सेवा के बीच संतुलन बनाए रखते हुए दंड के लिए एक व्यापक संरचना प्रस्तुत करती है। प्रावधान यह सुनिश्चित करते हैं कि दंड अपराध के अनुरूप हो, जबकि जुर्माना भुगतान में चूक और दंड भुगतान में चूक के लिए तंत्र प्रदान करते हैं, जिससे न्याय और सुधार के आधुनिक सिद्धांतों के साथ संरेखित होता है।* धारा 4: दंड के प्रकार भारतीय न्याय संहिता के तहत, अपराधियों को निम्नलिखित प्रकार के दंड दिए जा सकते हैं: 1. मृत्यु 2. आजीवन कारावास 3. कारावास, जिसे आगे वर्गीकृत किया गया है: a. कठोर श्रम के साथ कठोर कारावास b. साधारण कारावास 4. संपत्ति की जब्ती 5. जुर्माना 6. सामुदायिक सेवा सामुदायिक सेवा (Community Service) भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) को भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार लाने और नागरिकों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए बनाया गया था। यह भारतीय दंड...

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए अहम बदलाव

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए अहम बदलाव भारतीय दंड संहिता (CrPC) में 484 धाराएं थीं, जबकि  भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में531 धाराएं हैं. इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑडियो-वीडियो के जरिए साक्ष्य जुटाने को अहमियत दी गई है.  नए कानून में किसी भी अपराध के लिए अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा करने की व्यवस्था है. कोई भी नागरिक अपराध होने पर किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा. इसे 15 दिन के अंदर मूल जूरिडिक्शन, यानी जहां अपराध हुआ है, वाले क्षेत्र में भेजना होगा. सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी 120 दिनों के अंदर अनुमति देगी. यदि इजाजत नहीं दी गई तो उसे भी सेक्शन माना जाएगा. एफआईआर दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दायर करना जरूरी होगा. चार्जशीट दाखिल होने के बाद 60 दिन के अंदर अदालत को आरोप तय करने होंगे.  केस की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के अंदर अदालत को फैसला देना होगा. इसके बाद सात दिनों में फैसले की कॉपी उपलब्ध करानी होगी. हिरासत में लिए गए व्यक्ति के बारे में पुलिस को उसके परिवार को ...