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किताबें झाँकती हैं। गुलज़ार साहब की बेस्ट हिंदी कविता।

 किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से, बड़ी हसरत से तकती हैं. महीनों अब मुलाकातें नहीं होतीं, जो शामें इन की सोहबत में कटा करती थीं. अब अक्सर ....... गुज़र जाती हैं 'कम्प्यूटर' के पदों पर. बड़ी बेचैन रहती हैं किताबें .... इन्हें अब नींद में चलने की आदत हो गई है बड़ी हसरत से तकती हैं, जो क़दरें वो सुनाती थीं, कि जिनके 'सेल' कभी मरते नहीं थे, वो क़दरें अब नज़र आतीं नहीं घर में, जो रिश्ते वो सुनाती थीं. वह सारे उधड़े-उधड़े हैं, कोई सफ़ा पलटता हूँ तो इक सिसकी निकलती है, कई लफ़्ज़ों के मानी गिर पड़े हैं. बिना पत्तों के सूखे ठूँठ लगते हैं वो सब अल्फ़ाज़, जिन पर अब कोई मानी नहीं उगते, बहुत-सी इस्तलाहें हैं, जो मिट्टी के सकोरों की तरह बिखरी पड़ी हैं, गिलासों ने उन्हें मतरूक कर डाला. ज़ुबान पर ज़ायका आता था जो सफ्हे पलटने का, अब ऊँगली 'क्लिक' करने से बस इक, झपकी गुज़रती है, बहुत कुछ तह-ब-तह खुलता चला जाता है परदे पर, किताबों से जो ज़ाती राब्ता था, कट गया है. कभी सीने पे रख के लेट जाते थे, कभी गोदी में लेते थे, कभी घुटनों को अपने रिहल की सूरत बना कर. नीम-सजदे में पढ़

यही तो ज़िंदगी है.

कुछ दबी हुयी ख्वाइशे है , कुछ मंद मुस्कराहट है || कुछ खोये हुए सपने है ,  कुछ अनसुनी अहाटे है || कुछ दर्द भरे लम्हे है ,  कुछ सुकून भरे पल है ||  कुछ थमे हुए तूफ़ान है , कुछ मद्धम सी बरसात है ||  कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ है ,  कुछ न समझे इशारे है ||  कुछ उलझने है रहो में ,  कुछ कोशिशे बेहिसाब है ||  यही तो ज़िंदगी है , बस यही  तो ज़िंदगी है || 

मैं बोझ नहीं हूँ.इस दुनियां को समझाओ न पापा. हिंदी कविता. Best poetry in Hindi.

नमस्कार दोस्तों आज जो पोस्ट लेकर आया वह बहुत ही अच्छी है , क्यूंकि इस पोस्ट में एक बेटी ने जो बाते अपने पिता से कही है उसने मेरे दिल को छुआ है , इस पोस्ट में सामाज में हो रहे बेटियों के प्रति अत्याचार के बारे में बहुत मार्मिकता से चित्रण किया है  दोस्तों इस पोस्ट को जिस किसी लेखक ने लिखा है मैं उनका  यहाँ नाम तो नहीं बता सकता लेकिन इस पोस्ट ने मेरे दिल की गहराईयों में जगह बनायीं है , इस पोस्ट में बेटी ने अपनी ख्वाईशो का बहुत ही मार्मिक और गंभीर चित्रण किया है एवं समाज को बदलने की गुजारिश की है यदि आपको यह छोटी सी कविता अच्छी लगे तो जरूर सबके साथ आगे शेयर करियेगा धन्यवाद🙏 श्याम हो गयी है अभी तो ,   घूमने चलों न पापा?  चलते चलते थक गयी हूँ ,  कंधे पर बैठा लो न पापा? अँधेरे से डर लगता है, सीने से लगा लो न पापा?  मां तो सो गयी है ,  आप ही थपकी देकर सुला दो न पापा?  स्कूल तो पूरी हो गयी ,  अब कॉलेज जाने दो न पापा?  पाल पौस कर बड़ा किया ,  अब जुदा तो मत करो न पापा?  अब डोली में बैठा ही दिया ,