हेलो दोस्तों आज हम मध्यप्रदेश कुटुंब न्यायालय नियम 2002 के बारे जानेंगे? आगे हम पढ़ेंगे की ''मध्यप्रदेश कुटुंब न्यायालय नियम 2002 क्या है? मध्यप्रदेश कुटुंब न्यायालय नियम 2002 शक्तियां क्या है? और यह कैसे काम करता है? तथा यह कब और किस दिनांक से राज्य में प्रयोग में लाया जाता है''?
अधिसूचना नंबर फा.04-01-2002-इक्कीस-(ब) एक , दिनांक 20 जून 2002 कुटुंब न्यायालय अधिनियम , 1984 (1984 का संख्यांक 66) की धारा 23 द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए , राज्य सरकार द्वारा , कुटुंब न्यायालय के परामर्श से ,मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशित दिनांक 20 जून 2002 से एतद्द्वारा निम्नलिखित नियम बनाती है , अर्थात-
नियम
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ- इन नियमो का संक्षिप्त नाम मध्यप्रदेश कुटुंब न्यायालय नियम, 2002 है!
(2) ये मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में प्रकाशन की तरीख से प्रवृत है!
2. परिभाषाए- इन नियमो में , जबतक की संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो-
(क) अधिनियम- से अभिप्रेत है कुटुंब न्यायालय अधिनियम , 1984 (1984 का संख्यांक 66) ;
(ख) कुटुंब न्यायालय- से अभिप्रेत है , अधिनियम की धारा 3 के अधीन स्थापित न्यायालय;
(ग) सरकार- से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश सरकार;
(घ) उच्च न्यायालय- से अभिप्रेत है, मध्यप्रदेश का उच्च न्यायालय;
(ड़) न्यायाधीश- से अभिप्रेत है अधिनियम की धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन नियुक्त न्यायाधीश और इसमें कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश या अपर प्रधान न्यायाधीश भी सम्मिलित है;
(च) ऐसे अन्य सभी शब्दों और अभिव्यक्तियों के , जो इन नियमो में परिभाषित नहीं है , वही अर्थ होंगे , जो अधिनियम में उनके लिए दिए गए है|
3. कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश की सेवा शर्ते:- (१) उच्च न्यायालय के पूर्व अनुमोदन के अध्यधीन रहते हुए कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश की पदावधि उस तारीख से , जिसको वह पद ग्रहण करता है , पांच वर्ष या उसके द्वारा बासठ वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने तक की है
(2) कुटुंब न्यायालय का न्यायाधीश , उच्च न्यायालय के प्रशासनिक अनुशासनिक नियंत्रण के अधीन है|
(3) कुटुम्ब न्यायालय का न्यायाधीश , यात्रा भत्ता तथा दैनिक भत्ता को सम्मिलित करते हुए उसी वेतन तथा भत्तों का हकदार होगा , जैसा ऐसे जिला न्यायाधीश को अनुज्ञेय है , जो अतिकाल वेतनमान प्राप्त कर रहा है!
परन्तु किसी न्यायाधीश का वेतन तथा भत्ता , जो मध्यप्रदेश उच्च न्यायिक सेवा का सदस्य है , उस उपधारणात्मक वेतन तथा भत्तों से कम नहीं होंगे , जो उसे अनुज्ञेय होते
(4).किसी न्यायालय के न्यायाधीश या प्रधान न्यायाधीश या अपर प्रधान न्यायाधीश के रूप में मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा का कोई सेवारत सदस्य , अधिवार्षिकी आयु प्राप्त कर लेने पर , वृति पर , ऐसे न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवावधि के दौरान पेंशन , यदि कोई हो , कम करके ऐसे तथा मत प्राप्त करेगा , जो उसने अन्त में प्राप्त किए थे ।
(5) किसी न्यायालय के न्यायाधीश , प्रधान न्यायाधीश या अपर प्रधान न्यायाधीश के रूप नियुक्त मध्यप्रदेश उच्च न्यायिक सेवा का कोई सेवानिवृत्त सदस्य , पेंशन , यदि कोई हो , कम करके ऐसे उस तथा भत्ते प्राप्त करेगा , जो उसने उक्त सेवा के सदस्य के रूप में अन्त में प्राप्त किए थे ।
(6) किसी न्यायालय के न्यायाधीश , प्रधान न्यायाधीश या अपर प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कोई अन्य व्यक्ति ऐसे वेतन , भत्ते तथा अन्य फायदों का हकदार होगा , जो मध्यप्रदेश उच्च यिक सेवा के अतिकाल वेतनमान में के किसी सदस्य को समय - समय पर अनुज्ञेय हो ।
4. समाज कल्याण अभिकरणों का सहयोजन (1) प्रत्येक कुटुम्ब न्यायालय का प्रत्येक प्रधान न्यायाधीश , उसके साथ सहयोजन के लिए उच्च न्यायालय और राज्य सरकार के परामर्श से , उसके क्षेत्र के सम्बन्ध में एक रजिस्टर या रजिस्टरों को रखेगा तथा उसमें निम्नलिखित के नाम अभिलिखित करेगा ,
(एक) कुटुम्ब , विवाह विषयक तथा सहबद्ध विषयों में समाज कल्याण में लगी हुई संस्थाएं तथा संगठन और उनके प्रतिनिधिः
(दो) कुटुम्बोंके कल्याण की अभिवृद्धि में वृत्तिक तौर पर लगे हुए व्यक्ति और
(तीन) समाज कल्याण के क्षेत्र में कार्यरत् व्यक्ति (2) उपनियम (1) के अध्यधीन रहते हुए कुटुम्ब न्यायालय का प्रधान न्यायाधीश , ऐसे नामों को यथास्थिति , संस्था , संगठन या व्यक्ति की लिखित सम्मति प्राप्त करने के पश्चात् स्वप्रेरणा से या उसके आवेदन पर अभिलिखित कर सकेगा ।
5. परामर्श केन्द्र (1) प्रत्येक शहर में कुटुम्ब न्यायालय से सम्बद्ध एक परामर्श केन्द्र होगा जो कुटुम्ब न्यायालय परामर्श केन्द्र के रूप में जाना जाएगा ।
(2) परामर्श केन्द्र , कुटुम्ब न्यायालय के परिसर में या ऐसे अन्य स्थान पर होगा , जैस कि उच्च न्यायालय निर्देश दे
6.परामर्शदाता की नियुक्ति:- परामर्शदाता , कुटुम्ब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश द्वारा तैयार किए गए तथा उच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित परामर्शदाताओं के पैनल से राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किए जाएँगे : परन्तु किसी भी परामर्शदाता को 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेने के पश्चात् निरन्तर नहीं रखा जाएगा ।
7.परामर्शदाताओं की संख्या:- (1) प्रत्येक परामर्श केन्द्र में , परामर्शदाताओं की संख्या और प्रवर्ग वही होंगे ,जो सरकार द्वारा समय समय पर उच्च न्यायालय के परामर्श से अवधारित किए जाएँ ।
(2) जहां किसी परामर्श केन्द्र में एक से अधिक परामर्शदाता नियुक्त किए गए हैं , वहां उनमें से एक को उच्च न्यायालय द्वारा प्रधान परामर्शदाता के रूप में पदाभिहित किया जा सकेगा ।
8. परामर्शदाता के लिए अर्हता:- (1) कोई भी व्यक्ति , जिसके पास एक विषय के रूप में समाज विज्ञान या मनोविज्ञान के साथ किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय की उपाधि हो और विशेषतः समाज बाल मनोविज्ञान या कुटुम्ब सम्बन्धी परामर्श में न्यूनतम दो वर्ष का अनुभव हो , परामर्शदाता के में नियुक्ति के लिए पात्र होगाः
परन्तु न्यूनतम शैक्षणिक अर्हताएं , आपवादिक परिस्थितियों में कम की जा सकेंगी । परन्तु यह और कि अपेक्षित अहंता रखने वाली महिलाओं को प्राथमिकता दी जा सकेगीः परन्तु यह भी कि कोई भी व्यक्ति , परामर्शदाता के पद पर नियुक्ति के लिए सभी पात्र होगा , जब उसने 35 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली हो और वह 60 वर्ष की आयु से कम का हो ।
(2) किसी भी अभ्यर्थी को,जो :-
(क) एक न्यायाधीश रहा हो , या
(ख) कुटुम्ब सम्बन्धी विषयों में परामर्श का अनुभव रखता हो , अन्य बातें समान होने पर नियुक्ति के मामले में प्राथमिकता दी जाएगी।
9.परामर्शदाताओं को मानदेय/फीस का भुगतान:- (1) परामर्शदाता के रूप में नियोजित व्यक्तियों को अनुज्ञेय मानदेय या फीस ऐसी होगी , जैसी कि राज्य सरकार द्वारा , समय समय पर , अवधारित की जाए ।
(2) परामर्शदता , सुलह के लिए प्रति मामला प्रति बैठक [रुपए 300/-(तीन सौ रुपए)] की न्यूनतम दर से मानदेय या फीस का भुगतान प्राप्त करने के हकदार होंगे , प्रत्येक मामले के लिए निर्बन्धित चार से अधिक संख्या में बैठकें नहीं होना चाहिए । किसी भी मामले में परामर्शदाता का कुल मानदेय या फीस रुपए 1000 / - (एक हजार रुपए) प्रतिदिन से अधिक नहीं होगी ।
10. परामर्शदाता के कृत्य:- (1) परामर्शदाता , जिसे कि कोई याचिका सौंपी जाए
(एक)- कुटुम्ब न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा जब भी अपेक्षा की जाए , न्यायालय में उपस्थित होगा ;
(दो)- विवाद की विषय वस्तु या उसके किसी भाग का निपटारा करने के सम्बन्ध में पक्षकारों को सहायता और सलाह देगा!
(तीन)- सुलह कराने में पक्षकारों की मदद करेगा :(चार)- न्यायालय द्वारा नियत समय पर यथास्थिति , रिपोर्ट या अन्तरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा :
(पांच) ऐसे अन्य कृत्यों का पालन करेगा , जो कुटुम्ब न्यायालय द्वारा उसे समय समय पर सौपे जाएँ! (२)उपनियम (1) के अधीन अपने कृत्यों का पालन करने में परामर्शदाता का मार्गदर्शन ऐसे सामान्य या विशेष निदेशों द्वारा होगा , जो कि कुटुम्ब न्यायालय द्वारा समय - समय पर दिए जाएँ ।
11. कुटुम्ब न्यायालय के कर्मचारियों की सेवा शर्तें :-किसी कुटुम्ब न्यायालय के कर्मचारियों की अर्हताएं भर्ती के लिए प्रक्रिया , वेतन और सेवा की अन्य शर्ते वही होगी ,जो जिला न्यायाधीश के नियंत्रण के अधीन न्यायालयों में समान प्रवर्ग के कर्मचारि की है और उनसे सम्बन्धित नियम यथावश्यक परिवर्तन सहित लागू होंगे ।
12. चिकित्सा विशेषज्ञों और कल्याण विशेषज्ञों की सहायता:-(1)जहां कुटुम्ब न्यायालय , अधिनियम की धारा 12 में निर्दिष्ट विशेषज्ञ या अन्य व्यक्ति की सेवाएं प्राप्त करने का विनिश्चय करता है , वहां न्यायालय , निश्चित् बिन्दु या बिन्दुओं को , जिन पर और रीति जिसमें अपेक्षित सेवा दी जानी है, उपदर्शित करेगा।
(2) उपनियम (1) में निर्दिष्ट विशेषज्ञ या अन्य व्यक्ति सेवा देगा और अपनी रिपोर्ट ऐसे समय के भीतर , जो कुटुम्ब न्यायालय के आदेश में उपदर्शित किया जाए या ऐसे बढ़ाए गए समय के भीतर ,जो न्यायालय द्वारा दिया जाए , प्रस्तुत करेगा।
(3) कुटुम्ब न्यायालय , पक्षकारों को ऐसी रिपोर्ट के विरुद्ध आपत्तियों फाइल करने की अनुशा देगा ।
(4) न्यायालय,विवाद का विनिश्चय करने में रिपोर्ट पर विचार करेगा,किन्तु उसमें अन्तर्विष्ट किसी भी बात को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं होगा।
13. चिकित्सा विशेषज्ञों और अन्य विशेषज्ञों को देय यात्रा तथा अन्य व्यय:- जहाँ कुटुम्ब न्यायालय की राय में अधिनियम की धारा 12 में निर्दिष्ट किसी विशेषज्ञ या अन्य व्यक्ति की सहायता आवश्यक है किन्तु पक्षकार , जिसे ऐसी सहायता की आवश्यकता है , के पास उसकी फीस तथा यात्रा और अन्य व्ययों का भुगतान करने के साधन नहीं है , तो वह स्वप्रेरणा से या पक्षकार के आवेदन पर , राज्य के राजस्व में से ऐसी फीस और व्ययों का भुगतान करने का निदेश दे सकेगा , जैसा कि नीचे विनिर्दिष्ट है:-
(1) यदि विशेषज्ञ शासकीय सेवक है :-ऐसी दरों पर यात्रा व्यय , जो राज्य सरकार की सेवा में उसे अनुज्ञेय है ।
(2) यदि विशेषज्ञ शासकीय सेवक नहीं है :-ऐसी दरों पर यात्रा व्यय , जो राज्य सरकार के प्रथम श्रेणी अधिकारी को अनुज्ञेय है , और फीस के रूप में रुपए 500 / - प्रतिदिन ।
14. वकील द्वारा प्रतिनिधित्व के लिए अनुज्ञा :- न्यायालय,पक्षकारों को न्यायालय में वकील द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने की अनुशा दे सकेगा। यदि मामले में विधि या तथ्य का जटिल प्रश्न अन्तर्विलित है और यदि न्यायालय की यह राय है कि पक्षकार स्वयं अपने मामले का पर्याप्त रूप से संचालन करने की स्थिति में नहीं है या किन्हीं अन्य कारणों से , ऐसी अनुशा दी जा सकेगी। अनुज्ञा देने के कारण आदेश में अभिलिखित किए जाएंगे । इस प्रकार दी गई अनुशा , यदि न्यायालय उचित तथा आवश्यक समझे तो कार्यवाहियों के किसी भी प्रक्रम पर न्यायालय द्वारा रद्द की जा सकेगी ।
15. आवेदन करने का समय:- न्यायालय में किसी वकील द्वारा प्रतिनिधित्व किए जाने के लिए। किसी पक्षकार द्वारा कोई आवेदन , ऐसे पक्षकार द्वारा अन्य पक्ष को सूचना देने के पश्चात् दिया जाएगा। ऐसा आवेदन , याचिका की सुनवाई के लिए नियत तारीख के कम से कम दो सप्ताह पूर्व दिया जाएगा।
16. सुनवाई के दौरान आवेदन ग्रहण नहीं किया जाएगा:- नियम 15 के अधीन कोई आवेदन , जब तक कि ऐसी आपवादिक परिस्थितियाँ न हो,जो विलम्ब से आवेदन को न्यायोचित ठहराती हो, न्यायालय के दैनिक बोर्ड पर सुनवाई के लिए याचिका को रखे जाने के पश्चात् ग्रहण नहीं किया जाएगा। 17. किसी अवयस्क का स्वतंत्र रूप से विधिक प्रतिनिधित्व:- न्यायालय , मुकदमे से प्रभावित किसी अवयस्क का न्यायालय के समक्ष स्वतंत्र रूप से प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील नियुक्त कर सकेगा। न्यायालय,ऐसे वकील को भुगतान की जाने वाली फीस से सम्बन्धित उपर्युक्त निदेश दे सकेगा ।
18.न्याय मित्र:- (1)कुटुम्ब न्यायालय , विधिक विशेषज्ञों का , जिसमें विधि व्यवसायी सम्मिलित है , जो न्यायमित्र के रूप में नियुक्त किए जाने के इच्छुक हो , एक पैनल संधारित करेगा ।
(2) जहाँ कुटुम्ब न्यायालय को यह प्रतीत हो कि न्यायमित्र के रूप में एक विधिक विशेषज्ञ की सहायता न्याय के हित में आवश्यक है , तो न्यायालय उक्त पैनल में से एक विधिक विशेषज्ञ नियोजित कर सकेगा ।
(3) उपनियम (2) के अधीन नियोजित न्याय मित्र को कुटुम्ब न्यायालय द्वारा पांच सौ रुपए प्रति मामला या कार्यवाही की दर पर फीस तथा व्ययों का भुगतान राज्य के राजस्व में से किया जा सकेगा ।
19.परामर्शदाता की नियुक्ति की समाप्ति:- किसी परामर्शदाता की नियुक्ति , उसकी अवधि के अवसान के पूर्व किसी भी समय , कुटुम्ब न्यायालय के न्यायाधीश की सिफारिश पर समाप्त की जा सकेगी।
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