धारा 300 हत्या
एतस्मिन् पश्चात् अपवादित दशाओं को छोड़कर आपराधिक मानव वध हत्या है , यदि वह कार्य , जिसके द्वारा मृत्यु कारित की गई हो , मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया हो , अथवा
दूसरा -- यदि वह ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से किया गया हो जिससे अपराधी जानता हो कि उस व्यक्ति की मृत्यु कारित करना संभाव्य है , जिसको वह अपहानि कारित की गई है , अथवा
तीसरा -- यदि वह किसी व्यक्ति को शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से किया गया हो और वह शारीरिक क्षति , जिसके कारित करने का आशय हो , प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु कारित करने के लिए पर्याप्त हो , अथवा चौथा -- यदि कार्य करने वाला व्यक्ति यह जानता हो कि वह कार्य इतना आसन्नसंकट है कि पूरी अधिसंभाव्यता है कि वह मृत्यु कारित कर ही देगा या ऐसी शारीरिक क्षति कारित कर ही देगा जिससे मृत्यु कारित होना संभाव्य है , और वह मृत्यु कारित करने या पूर्वोक्त रूप की क्षति कारित करने की जोखिम उठाने के लिए किसी प्रतिहेतु के बिना ऐसा कार्य करे ।
दृष्टांत
( क ) य को मार डालने के आशय से क उस पर गोली चलाता है , परिणामस्वरूप य मर जाता है । क हत्या करता है ।
( ख ) क यह जानते हुए कि य ऐसे रोग से ग्रस्त है कि संभाव्य है कि एक प्रहार से उसकी मृत्यु कारित कर दे , शारीरिक क्षति कारित करने के आशय से उस पर आघात करता है । य उस प्रहार के परिणामस्वरूप मर जाता है । क हत्या का दोषी है , यद्यपि वह प्रहार किसी अच्छे स्वस्थ व्यक्ति की मृत्यु करने के लिए प्रकृति के मामूली अनुक्रम में पर्याप्त न होता । किन्तु यदि क , यह न जानते हुए कि यकिसी रोग से ग्रस्त है , उस पर ऐसा प्रहार करता है , जिससे कोई अच्छा स्वस्थ व्यक्ति प्रकृति के मामूली अनुक्रम में न मरता , तो यहां , क , यद्यपि शारीरिक क्षति कारित करने का उसका आशय हो , हत्या का दोषी नहीं है , यदि उसका आशय मृत्यु कारित करने का या ऐसी शारीरिक क्षति कारित करने का नहीं था , जिससे प्रकृति के मामूली अनुक्रम में मृत्यु कारित हो जाए ।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें